Chapter-8.7 : Secondary Memory क्या है तथा उनके प्रकार

Secondary Memory क्या है
Figure : Secondary Memory क्या है

1. Secondary Memory क्या है

Secondary Memory क्या है : -सहायक मेमोरी वह मेमोरी कहलाती है जिसको कम्प्यूटर सिस्टम मे अलग से जोड़ा जाता है , इस मेमोरी के अंतर्गत जो भी डेटा स्टोर होता है वह स्थाई रूप से (Permanently)  स्टोर हो जाता है जिसको हम आवश्यकता अनुसार भविष्य मे उसका इस्तेमाल कर सकते है तथा इसमें सुधार भी कर सकते है। इसके अंतर्गत स्टोर डेटा यूजर द्वारा डिलीट भी किया जा सकता है। इस मेमोरी की डेटा स्टोर करने की क्षमता अधिक होती है तथा इस डेटा को हम एक स्थान से दूसरे स्थान तक ट्रांसफर भी कर सकते है।  कॉम्पेक्ट डिस्क(CD), हार्डडिस्क (Hard Disk), फ्लॉपी डिस्क, मेमोरी कार्ड, Pen Drive इत्यादि Secondary Memory के ही example है।

2. Secondary Memory को दो भागो मे बाटा गया है:

2.1. Fixed Memory:

इस मेमोरी के अंतर्गत हम डेटा को केवल एक बार ही रिकार्ड कर सकते है अर्थात एक बार रिकॉर्ड होने पर हम उस डेटा को डिलीट नहीं कर सकते है।  उदाहरण : CD , DVD आदि 

2.2. Removable Memory:

इस मेमोरी के अंतर्गत हम डेटा को कितनी बार भी रिकार्ड कर सकते है अर्थात डेटा रिकॉर्ड होने के बाद हम उस डेटा को डिलीट भी कर सकते है। उदाहरण: Hard-Disk, Pen Drive, Memory Card, Floppy Disk, आदि 

3. सेकेंडरी मेमोरी के प्रकार: Types of secondary memory

  • हार्ड डिस्क ड्राइव – Hard Disk Drive
  • पेन ड्राइव – Pen Drive
  • ऑप्टिकल डिस्क – Optical Disk
  • सीडी– CD
  • डीवीडी – DVD
  • ब्लू रेय डिस्क – Blue Ray Disk

हार्ड डिस्क ड्राइव – Hard Disk Drive:

यह एक Secondary Storage Device है जिसका निर्माण IBM कंपनी द्वारा किया गया था। हार्ड डिस्क का प्रयोग हम कंप्यूटर मे डाटा को permanently स्टोर करने के लिये करते है तथा समय समय पर आवश्यकता पड़ने पर हम उस डेटा को इस्तेमाल भी कर सकते है। यह एक नॉन- वोलेटाइल – Non – Volatile मेमोरी है इस डिवाइस मे डेटा, लम्बे समय तक स्टोर रह सकता है।

आजकल हर एक कम्प्यूटर अथवा लैपटॉप मे डेटा को सुरक्षित रखने के लिये हार्ड डिस्क का इस्तेमाल किया जाता है। हार्ड डिस्क दो प्रकार की होती है internal हार्ड डिस्क और external हार्ड डिस्क । normally सभी डेस्कटॉप कम्प्यूटर मे internal हार्ड डिस्क का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन अतिरिक्त डेटा को स्टोर करने के लिये हम external हार्ड डिस्क का प्रयोग भी कर सकते है।

हार्ड डिस्क की स्पीड को हम RPM मे मापते है अर्थात Revolutions Per Minute मे , हार्ड डिस्क का RPM जितना ज्यादा  होगा उतनी ही तेज़ गति से डेटा Read और Write होता है। Hard Disk मे डाटा को स्टोर करने के लिए disk platters लगी होती है, हर एक प्लेटर मे track और sector बने होते है जोकि spindle की सहायता से घूमते रहते है हार्ड डिस्क मे एक Read & Write हेड होता है जो प्लेटर के ऊपर डेटा को read एवम्‌ write करने का कार्य करता रहता है आजकल मार्केट मे ज्यादातर हार्ड डिस्क 5400 RPM, 7200 RPM की मिल जाती हैं।

हार्ड डिस्क के प्रकार – Types of Hard Disk:

  • PATA – Parallel Advanced Technology Attachment
  • SATA – Serial Advanced Technology Attachment
  • SCSI – Small Computer System Interface
  • SSD – Solid State Drive

PATA – Parallel Advanced Technology Attachment

यह तकनीक Parallel Advanced Technology Attachment के नाम से जानी जाती है जिसका प्रयोग सन्‌ 1986 मे किया गया था इस हार्ड डिस्क की स्पीड थोड़ी कम होती थीं। इसमे डेटा ट्रांसफर करने की स्पीड लगभग 133mbps थीं

SATA – Serial Advanced Technology Attachment

SATA को हम Serial Advanced Technology Attachment के नाम से भी जान सकते है आधुनिक युग मे अधिकांश कम्प्युटर एवम्‌ लैपटाप में इसी हार्ड डिस्क का इस्तेमाल किया जाता है यह हार्ड डिस्क PATA हार्ड डिस्क की अपेक्षा तीर्व गति से कार्य करती है. अर्थात इसमें जो डाटा ट्रांसफर करने की स्पीड होती है वह अधिकांश  600 MBPS तक होती है. इस हार्ड डिस्क  को CPU से connect करने के लिये SATA Cable का इस्तेमाल किया जाता है ।

SCSI – Small Computer System Interface

SCSI अर्थात Small Computer System Interface, जिसको छोटे अथवा medium साइज़ के कंप्यूटर में इस्तेमाल किया जाता है इस हार्ड डिस्क मे डेटा ट्रांसफर करने की स्पीड अधिक होती है अर्थात यह 640 MBPS की स्पीड से Data को Transfer कर सकती है। SCSI Hard Disk को कनेक्ट करने के लिए SCSI Cable का प्रयोग किया जाता है इसमे 16 Drive को एक साथ कनेक्ट किया जा सकता है।

SSD – Solid State Drive

इस हार्ड डिस्क को हम Solid State Drives के नाम से भी जानते है। आज के समय मे यह हार्ड डिस्क सबसे तीर्व गति से डेटा को ट्रांसफर करने की क्षमता रखती है इस हार्ड डिस्क मे डेटा को स्टोर करने के लिए जिस तकनीक का प्रयोग किया जाता है उसको हम Flash Memory तकनीक कहते है जिस कारण से इसमें Data को read करने की गति काफी तेज होती है. मार्केट मे इस हार्ड डिस्क की कीमत अन्य हार्ड डिस्क की अपेक्षा बहुत ज्यादा होती है।

पेन ड्राइव – Pen Drive:

पेन ड्राइव का इस्तेमाल हम डेटा को स्टोर करने के लिये करते है इस डिवाइस की मदद से हम डेटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकते है  इस डिवाइस को हम USB flash drive भी कहते है। आजकल मार्केट मे अलग –अलग साइज की पेन ड्राइव उप्लब्ध है जैसे कि 8 जीबी , 16 जीबी, 32 जीबी, 64 जीबी, 128 जीबी, 1टीबी आदि । इन पेन ड्राइव का डिजाइन बहुत ही छोटा होता है तथा यह एक पोरटेबल डिवाइस है।

ऑप्टिकल डिस्क – Optical Disk:

Optical Disk का डिजाइन गोलाकार disk की तरह होता है, जो पॉली कार्बोनेट की बनी होती है इसकी ऊपरी सतह को Aluminium प्रदर्णि की मदद से चमकदार बनाया गया है अर्थात इसकी ऊपरी सतह पर रासायनिक पदार्थ का लेप लगा होता है ताकि इस सतह पर प्रकाश परावर्तित हो सके।

ऑप्टिकल डिस्क मे कम क्षमता वाली लेजर लाइट का प्रयोग किया जाता है जिसके द्वारा डाटा को रीड एवम्‌ राइट किया जाता है आजकल मार्केट मे डेटा की आवश्यकता को देखते हुए विभिन्न प्रकार की ऑप्टिकल डिस्क मौज़ूद है जिसमें डेटा डिजिटली रूप में safe रहता है ।

ऑप्टिकल डिस्क के प्रकार: 

  • सीडी – CD
  • डीवीडी – DVD
  • ब्लू रे – Blue Ray 

सीडी– CD:

यह एक पोरटेबल  डिवाइस है जिसे हम कॉम्पैक्ट डिस्क भी कहते है जिसका प्रयोग हम डेटा को रिकॉर्ड करने के लिये करते हैं। मार्केट मे यह काफी कम कीमत मे उप्लब्ध हो जाती है तथा इसका साइज 700MB तक होता हैं।  

सीडी के प्रकार:

  • सीडी आर – CD R
  • सीडी आरडबल्यू – CD R/W

सीडी आर – CD R:

इस डिस्क मे डेटा को एक बार write कर देने के बाद उसको delete नहीं किया जा सकता है और ना ही उसको change किया जा सकता है। इस डिस्क को हम recordable compact disk भी कहते है।

सीडी आरडबल्यू – CD R/W:

इस डिस्क मे डेटा को एक बार write कर देने के बाद उसको delete भी किया जा सकता है तथा उसको फिर से दोबारा write किया जा सकता है अर्थात उसमे बार बार  change भी किया जा सकता है। इस डिस्क को हम Recordable / Writable compact disk भी कहते है।

डीवीडी – DVD:

डीवीडी डिस्क का डिजाइन भी गोलाकार disk की तरह होता है इसकों हम डिजिटल वर्सटाइल  डिस्क  के नाम से भी जानते हैं। डीवीडी का प्रयोग हम डिजिटल सामग्री  जैसे कि म्यूजिक , वीडियो , डेटा आदि को संग्रहीत (store) करने के लिये करते है मार्केट मे डीवीडी के दो version  उप्लब्ध है  यह 4.7 जीबी और 8 जीबी में आती  है। यह सीडी के मुकाबले 7 गुना ज्यादा डेटा को store कर सकती है

डीवीडी के प्रकार:

  • डीवीडी आर – DVD R
  • डीवीडी आरडबल्यू – DVD R/W

ब्लू रेय डिस्क – Blue Ray Disk:

ब्लू रेय डिस्क का डिजाइन सीडी और डीवीडी की तरह गोलाकर shape में होता है जिसका प्रयोग हम High Definition की वीडियो अर्थात अच्छी quality की वीडियो को रिकॉर्ड करने के लिये करते है यह डिस्क भी Optical Disk के अंतर्गत आती है इसकी स्टोरेज क्षमता 28 जीबी तक की होती है अर्थात यह डिस्क , किसी भी ऑप्टिकल डिस्क की अपेक्षा अधिक  डेटा को स्टोर करने की क्षमता रखती है।


यह भी जाने : Computer Memory and storage – कंप्यूटर मेमोरी और भंडारण

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